Sunday, December 11, 2022

 काश! ज़िंदगी किसी तालीम का हिस्सा होती 

कम-से-कम इम्तिहान की तारीख़ तो पता होती 

नामुमकिन है माँ-बाप का एक भी क़र्ज़ चुका पाना 

कम-से-कम किसी क़र्ज़ की एक किश्त तो अदा होती

  काश ! ज़िंदगी किसी तालीम का हिस्सा होती   कम - से - कम इम्तिहान की तारीख़ तो पता होती   नामुमकिन है माँ - बाप का एक भी क़...